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"जल कर / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर
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प्रेम करने के लिए
लगाए सात चक्कर
अग्नि केवल
साक्ष्य रूप
सामने नहीं थी-
वह थी देह में भी।
जल कर
हम हुए- एक
होंगे जुदा
जल कर ही।