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"जल कर / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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06:39, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

प्रेम करने के लिए
लगाए सात चक्कर
अग्नि केवल
साक्ष्य रूप
सामने नहीं थी-
वह थी देह में भी।

जल कर
हम हुए- एक
होंगे जुदा
जल कर ही।