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"स्मृति-2 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर
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स्मृति में है तुम्हारी-
मेरी पसंद, नापसंद
इससे भी अधिक
वहां है शायद प्यार
उसी के रहते
यह गीत भीग गया है
जो गा रही हो तुम....
तुम गा रही हो
मेरी पसंद,
मैं सुन रहा हूं-
तुम्हारी पसंद!