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"किसी सपने में जीना / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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06:45, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

भूल जाती हैं
अपना रास्ता
परेशानियां सारी
जब आता है-
जीवन में प्रेम....

जिंदा रहने के लिए
जरूरी है-
किसी सपने में जीना....
बिना सपनों के
बिना अपनों के
बस मरा जा सकता है।

प्रेम में बसा लेना-
तुम अपनी एक दुनिया....