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"मौन शब्द / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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06:48, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

तुम्हारी तस्वीर देखकर
लगता है यह
कुछ कहने वाली है,
कुछ क्षण पहले ही
कुछ कहा है तुमने।
क्या कहा है तुमने?
मैंने नहीं सुना जिसे
या फिर मेरे सामने आते ही
कुछ कहते-कहते रुक गई हो तुम।

तस्वीर की नियति है
कि वह कुछ नहीं कहती
मगर बोलती बहुत कुछ है...

मित्रों! यहां पूरी हो गई थी कविता।
मगर एक टिप्पणी है,
आगे कि पंक्तियां-
उसने कहा-
वह कुछ नहीं कहेगी।