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"मोती कभी पलकों से गिराए नहीं हमने... / देवी नांगरानी" के अवतरणों में अंतर
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सपने कभी आंखों मे बसाए नहीं हमने | सपने कभी आंखों मे बसाए नहीं हमने | ||
− | बेकार के ये नाज़ उठाए नहीं हमने | + | बेकार के ये नाज़ उठाए नहीं हमने| |
दौलत को तेरे दर्द की रक्खा सहेज कर | दौलत को तेरे दर्द की रक्खा सहेज कर | ||
− | मोती कभी पलकों से गिराए नहीं हमने | + | मोती कभी पलकों से गिराए नहीं हमने| |
आई जो तेरी याद तो लिखने लगी गज़ल | आई जो तेरी याद तो लिखने लगी गज़ल | ||
− | रो रो के गीत औरों को सुनाए नहीं हमने | + | रो रो के गीत औरों को सुनाए नहीं हमने| |
है सूखा पड़ा आज तो, कल आयेगा सैलाब | है सूखा पड़ा आज तो, कल आयेगा सैलाब | ||
− | ख़ेमे किसी भी जगह लगाए नहीं हमने | + | ख़ेमे किसी भी जगह लगाए नहीं हमने| |
इतने फ़रेब खाए हैं ‘देवी’ बहार में | इतने फ़रेब खाए हैं ‘देवी’ बहार में | ||
− | जूड़े में गुलाब अब के लगाये नहीं हमने | + | जूड़े में गुलाब अब के लगाये नहीं हमने|| |
19:41, 17 अक्टूबर 2007 के समय का अवतरण
सपने कभी आंखों मे बसाए नहीं हमने
बेकार के ये नाज़ उठाए नहीं हमने|
दौलत को तेरे दर्द की रक्खा सहेज कर
मोती कभी पलकों से गिराए नहीं हमने|
आई जो तेरी याद तो लिखने लगी गज़ल
रो रो के गीत औरों को सुनाए नहीं हमने|
है सूखा पड़ा आज तो, कल आयेगा सैलाब
ख़ेमे किसी भी जगह लगाए नहीं हमने|
इतने फ़रेब खाए हैं ‘देवी’ बहार में
जूड़े में गुलाब अब के लगाये नहीं हमने||