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कबीर दोहावली / पृष्ठ ९

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कुल खोये कुल ऊबरै, कुल राखे कुल जाय । <BR/>
राम निकुल कुल भेटिया, सब कुल गया बिलाय ॥ 801 ॥ <BR/><BR/>
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