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"विद्यापति" के अवतरणों में अंतर

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सैसव जौवन दुहु मिल गेल।<b> श्रवनक पथ दुहु लोचन लेल।।<b>
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सैसव जौवन दुहु मिल गेल।
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श्रवनक पथ दुहु लोचन लेल।।
  
वचनक चातुरि नहु-नहु हास।<b> धरनिये चान कयल परकास।।<b>
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वचनक चातुरि नहु-नहु हास।
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धरनिये चान कयल परकास।।
  
मुकुर हाथ लय करय सिंगार।<b> सखि पूछय कइसे सुरत-विहार।।<b>
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मुकुर हाथ लय करय सिंगार।
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सखि पूछय कइसे सुरत-विहार।।
  
निरजन उरज हेरत कत बेरि।<b> बिहुँसय अपन पयोधर हेरि।।<b>
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निरजन उरज हेरत कत बेरि।
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बिहुँसय अपन पयोधर हेरि।।
  
पहिले बदरि सम पुन नवरंग।<b> दिन-दिन अनंग अगोरल अंग।।<b>
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पहिले बदरि सम पुन नवरंग।
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दिन-दिन अनंग अगोरल अंग।।
  
माधव देखल अपरूब बाला।<b> सैसव जौवन दुहु एक भेला।।<b>
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माधव देखल अपरूब बाला।
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सैसव जौवन दुहु एक भेला।।
  
विद्यापति कह तुहु अगेआनि।<b> दुहु एक जोग इह के कह सयानि।।
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विद्यापति कह तुहु अगेआनि।
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दुहु एक जोग इह के कह सयानि।।

19:23, 2 अगस्त 2006 का अवतरण

विद्यापति की कविताएं

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     (२)

सैसव जौवन दुहु मिल गेल। श्रवनक पथ दुहु लोचन लेल।।

वचनक चातुरि नहु-नहु हास। धरनिये चान कयल परकास।।

मुकुर हाथ लय करय सिंगार। सखि पूछय कइसे सुरत-विहार।।

निरजन उरज हेरत कत बेरि। बिहुँसय अपन पयोधर हेरि।।

पहिले बदरि सम पुन नवरंग। दिन-दिन अनंग अगोरल अंग।।

माधव देखल अपरूब बाला। सैसव जौवन दुहु एक भेला।।

विद्यापति कह तुहु अगेआनि। दुहु एक जोग इह के कह सयानि।।