भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मुझे कल मेरा एक साथी मिला / अहमद नदीम क़ासमी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अहमद नदीम काज़मी }} मुझे कल मेरा एक साथी मिला<BR> जिस ने य...) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=अहमद नदीम काज़मी | |रचनाकार=अहमद नदीम काज़मी | ||
+ | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | [[Category:ग़ज़ल]] | |
23:16, 27 जनवरी 2008 का अवतरण
मुझे कल मेरा एक साथी मिला
जिस ने ये राज़ खोला
कि "अब जज्बा-ओ-शौक़ की वहशतों के ज़माने गए"
फिर वो आहिस्ता-आहिस्ता चारों तरफ़ देखता
मुझ से कहने लगा
"अब बिसात-ए-मुहब्बत लपेटो
जहां से भी मिल जाएं दौलत - समटो
ग़र्ज कुछ तो तहज़ीब सीखो"