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"कलकत्ता और मेरा देश / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
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महामहिम ने बयान दिया
संसद में
"धीरे-धीरे मर रहा है कलकत्ता"
तुमने अपनी डायरी में लिखा कवि
"कलकत्ता एक मरा हुआ नगर है"
एक और कवि ने लिखा
"खिलौने की तरह ले जायेगी मृत्यु हमें"
और
मैं देख रहा हूँ
धीरे-धीरे मर रहा है मेरा देश
एक नया जीवन पाने की ख़ातिर