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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=जोश मलीहाबादी]][[Category:जोश मलीहाबादी]]|संग्रह= }}{{KKCatGhazal}}<poem>[[Category:कविताएँ]]नक़्श-ए-ख़याल दिल से मिटाया नहीं हनोज़ [[Category:गज़ल]]बेदर्द मैंने तुझको भुलाया नहीं हनोज़
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*वो सर जो तेरी राहगुज़र में था सज्दा-रेज़ मैं ने किसी क़दम पे झुकाया नहीं हनोज़
नक़्शमहराब-ए-ख़याल दिल से मिटाया नहीं हनोज़ <br>जाँ में तूने जलाया था ख़ुद जिसे बेदर्द मैंने तुझको भुलाया सीने का वो चिराग़ बुझाया नहीं हनोज़ <br><br>
वो सर जो तेरी राहगुज़र में था सज्दा-रेज़ <br>बेहोश हो के जल्द तुझे होश आ गया मैं ने किसी क़दम पे झुकाया बदनसीब होश में आया नहीं हनोज़ <br><br>
महराब-ए-जाँ में तूने जलाया था ख़ुद जिसे <br>सीने का वो चिराग़ बुझाया नहीं हनोज़ <br><br> बेहोश हो के जल्द तुझे होश आ गया <br>मैं बदनसीब होश में आया नहीं हनोज़ <br><br> मर कर भी आयेगी ये सदा क़ब्र-ए-"जोश" से <br>बेदर्द मैं ने मैंने तुझको भुलाया नहीं हनोज़ <br><brpoem>
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