भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
132 bytes added,
12:28, 23 मार्च 2008
पंख{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=दिविक रमेश}}
दरवाजा <br> शायद खुला रह गया है<br><br>
इसी राह से <br> आया होगा उड़कर<br> यह खूबसूरत पंख !<br><br>
खिड़कियां तो सभी बंद हैं .।<br><br>
शायद सामने वाले पेड़ पर<br> कोई नया पक्षी आया है .।<br><br>
हो सकता है <br> बहुत दिनों से रह रहा हो .।<br><br>
दरवाजा खुला हो<br> तो,ज़रूरी नहीं<br> अंधड़ तूफान ही <br> घुस आए घर में<br><br>
खूबसूरत पंख भी तो<br> आ सकता है <br> उड़कर .।<br><br>