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"म्हनैं ठाह है : दोय / रमेश भोजक ‘समीर’" के अवतरणों में अंतर

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('<poem>म्हनैं ठाह है कदै-कदास ई म्हारै स्हैर री सड़कां म...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
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कदै-कदास ई
 
कदै-कदास ई
 
म्हारै स्हैर री सड़कां माथै
 
म्हारै स्हैर री सड़कां माथै

05:28, 19 जुलाई 2013 का अवतरण

म्हनैं ठाह है
कदै-कदास ई
म्हारै स्हैर री सड़कां माथै
निकळै जळूस
अर भेळा होवै
उण रै साथै
तूटोड़ा मिनख घणा-सारा
हाथां मांय झाल्यां
झंडा अर तख्त्यां
लागै केई-केई नारा
जणै फेर
कोई इतिहास सिरजैला....।