भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बदले पैमाने / शिवकुटी लाल वर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवकुटी लाल वर्मा |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 18: पंक्ति 18:
  
 
मौसम तो यह भाईचारा देख दंग रह गया
 
मौसम तो यह भाईचारा देख दंग रह गया
चिड़ियों की चोचों से छूट गए गाने
+
चिड़ियों की चोंचों से छूट गए गाने
काँपे गुफ़ा-घाटी  बदले पैमाने
+
काँपे गुफ़ा-घाटी,  
 +
बदले पैमाने
 
बिना रटे सबक बच्चे हो गए सयाने ।
 
बिना रटे सबक बच्चे हो गए सयाने ।
 
</poem>
 
</poem>

00:44, 22 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

गोली लगी
झुकी हुई पीठ में
निकल पड़े ख़ून की जगह
घुन लगे गेहूँ के दाने

सभी थे भूखे
बाँट लिया मिल-जुल
सिपाहियों ने
हत्यारों ने
भ्रष्ट मुकुटों ने

मौसम तो यह भाईचारा देख दंग रह गया
चिड़ियों की चोंचों से छूट गए गाने
काँपे गुफ़ा-घाटी,
बदले पैमाने
बिना रटे सबक बच्चे हो गए सयाने ।