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"मरूं तो मैं किसी चेहरे में रंग भर जाऊं / अहमद नदीम क़ासमी" के अवतरणों में अंतर
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मेरा वजूद मेरी रूह को पुकारता है,<br> | मेरा वजूद मेरी रूह को पुकारता है,<br> | ||
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तेरे जमाल का परतो है सब हसीनों पर<br> | तेरे जमाल का परतो है सब हसीनों पर<br> | ||
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− | ये सोचता हूं कि मैं बुत-परस्त | + | ये सोचता हूं कि मैं बुत-परस्त क्यूँ न हुआ,<br> |
− | तुझे क़रीब जो | + | तुझे क़रीब जो पाऊँ तो ख़ुद से डर जाऊँ|<br><br> |
किसी चमन में बस इस ख़ौफ़ से गुज़र न हुआ,<br> | किसी चमन में बस इस ख़ौफ़ से गुज़र न हुआ,<br> | ||
− | किसी कली पे न भूले से | + | किसी कली पे न भूले से पाँव धर जाऊँ|<br><br> |
ये जी में आती है, तख़्लीक़-ए-फ़न के लम्हों में,<br> | ये जी में आती है, तख़्लीक़-ए-फ़न के लम्हों में,<br> | ||
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02:27, 25 अक्टूबर 2007 का अवतरण
मरूँ तो मैं किसी चेहरे में रंग भर जाऊँ|
नदीम! काश यही एक काम कर जाऊँ|
ये दश्त-ए-तर्क-ए-मुहब्बत ये तेरे क़ुर्ब की प्यास,
जो इज़ाँ हो तो तेरी याद से गुज़र जाऊँ|
मेरा वजूद मेरी रूह को पुकारता है,
तेरी तरफ़ भी चलूं तो ठहर ठहर जाऊँ|
तेरे जमाल का परतो है सब हसीनों पर
कहाँ कहाँ तुझे ढूंढूँ किधर किधर जाऊँ|
मैं ज़िन्दा था कि तेरा इन्तज़ार ख़त्म न हो,
जो तू मिला है तो अब सोचता हूँ मर जाऊँ|
ये सोचता हूं कि मैं बुत-परस्त क्यूँ न हुआ,
तुझे क़रीब जो पाऊँ तो ख़ुद से डर जाऊँ|
किसी चमन में बस इस ख़ौफ़ से गुज़र न हुआ,
किसी कली पे न भूले से पाँव धर जाऊँ|
ये जी में आती है, तख़्लीक़-ए-फ़न के लम्हों में,
कि ख़ून बन के रग-ए-संग में उतर जाऊँ|