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"जिस्म दरिया का थरथराया है / इरशाद खान सिकंदर" के अवतरणों में अंतर

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15:03, 15 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

जिस्म दरिया का थरथराया है
हमने पानी से सर उठाया है

शाम की सांवली हथेली पर
इक दिया भी तो मुस्कुराया है

अब मैं ज़ख़्मों को फूल कहता हूँ
फ़न ये मुश्किल से हाथ आया है

जिन दिनों आपसे तवक़्को थी
आपने भी मज़ाक़ उड़ाया है

हाले दिल उसको क्या सुनाएँ हम
सब उसी का किया-कराया है