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"ख़ामोशी की बर्फ़ पिघल भी सकती है / इरशाद खान सिकंदर" के अवतरणों में अंतर

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21:47, 15 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

ख़ामोशी की बर्फ़ पिघल भी सकती है
पल भर में तस्वीर बदल भी सकती है

तुम जिनसे उम्मीद लगाये बैठे हो
उन खुशियों की साअत टल भी सकती है

यादों की तलवार है मेरी गर्दन पर
ऐसे में तो जान निकल भी सकती है

लड़ते वक्त कहाँ हमने ये सोचा था
तेरी फुर्क़त हमको खल भी सकती है

मुमकिन है आ जाये मुर्दादिल में जाँ
तुम आओ तो धडकन चल भी सकती है