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"मन न रँगाये रँगाये जोगी कपड़ा / कबीरदास" के अवतरणों में अंतर
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आसन मारि मंदिर में बैठे, नाम छाड़ि पूजन लागे पथरा।। 1।। | आसन मारि मंदिर में बैठे, नाम छाड़ि पूजन लागे पथरा।। 1।। |
17:28, 24 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
मन न रँगाये रँगाये जोगी कपड़ा।। टेक।।
आसन मारि मंदिर में बैठे, नाम छाड़ि पूजन लागे पथरा।। 1।।
कनवां फड़ाय जोगी जटवा बढ़ौले, दाढ़ी बढ़ाय जोगी होइ गैले बकरा।। 2।।
जंगल जाय जोगी धुनिया रमौले, काम जराय जोगी होइ गैलै हिजरा।। 3।।
मथवा मुड़ाय जोगी कपड़ा रंगौले, गीता बाँचि के होइ गैले लबरा।। 4।।
कहहि कबीर सुनो भाई साधो, जम दरबजवाँ बाँधल जैवे पकरा।। 5।।