भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ख़ामोशी / 'बाकर' मेंहदी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='बाकर' मेंहदी |संग्रह= }} {{KKCatNazm}} <poem> क...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
08:39, 26 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
कोई इमेज किसी बात का हसीं साया
नए पुराने ख़यालों का इक अछूता मेल
किसी की याद का भटका हुआ कोई जुगनू
किसी के नीले से काग़ज़ पे चंद अधूरे लफ़्ज़
बग़ावतों का पुराना घिसा पिटा नारा
किसी किताब में ज़िंदा मगर छुपी उम्मीद
पुरानी ग़ज़लों की इक राख बे-दिली ऐसी
ख़ुद अपने आप से उलझन अजीब बे-ज़ारी
ग़रज़ कि मूड के सौ रंग आईने परतव
मगर ये क्या हुआ अब कुछ भी लिख नहीं सकता
न जाने कब से ये बे-मअ’नी ख़ामुशी बे-मुहीत
ख़ुद अपने साए से मैं छुट गया हूँ या शायद
कहीं मैं लफ़्ज़ों की दुनिया को छोड़ आया हूँ