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− | + | कीच, धूल, गन्दगी बदन पर | |
− | + | लेकर ओ मेहनतकश! | |
− | + | गाता फिरे विश्व में भारत | |
− | + | तेरा ही नव-श्रम-यश ! | |
− | + | तेरी एक मुस्कराहट पर | |
− | + | वीर पीढ़ियाँ फूलें । | |
− | + | ये अनाज की पूलें | |
− | + | तेरे काँधें झूलें ! | |
− | + | इन भुजदंडों पर अर्पित | |
− | + | सौ-सौ युग, सौ-सौ हिमगिरी | |
− | + | सौ-सौ भागीरथी निछावर | |
− | + | तेरे कोटि-कोटि शिर ! | |
− | + | ये उगी बिन उगी फ़सलें | |
− | + | तेरी प्राण कहानी | |
− | + | हर रोटी ने, रक्त बूँद ने | |
+ | तेरी छवि पहचानी ! | ||
+ | वायु तुम्हारी उज्ज्वल गाथा | ||
+ | सूर्य तुम्हारा रथ है, | ||
+ | बीहड़ काँटों भरा कीचमय | ||
+ | एक तुम्हारा पथ है । | ||
+ | यह शासन, यह कला, तपस्या | ||
+ | तुझे कभी मत भूलें । | ||
+ | ये अनाज की पूलें | ||
+ | तेरे काँधे झूलें ! | ||
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14:15, 26 अगस्त 2013 का अवतरण
ये अनाज की पूलें तेरे काँधे झूलें
रचनाकार: माखनलाल चतुर्वेदी
ये अनाज की पूलें तेरे काँधे झूलें
तेरा चौड़ा छाता
रे जन-गण के भ्राता
शिशिर, ग्रीष्म, वर्षा से लड़ते
भू-स्वामी, निर्माता !
कीच, धूल, गन्दगी बदन पर
लेकर ओ मेहनतकश!
गाता फिरे विश्व में भारत
तेरा ही नव-श्रम-यश !
तेरी एक मुस्कराहट पर
वीर पीढ़ियाँ फूलें ।
ये अनाज की पूलें
तेरे काँधें झूलें !
इन भुजदंडों पर अर्पित
सौ-सौ युग, सौ-सौ हिमगिरी
सौ-सौ भागीरथी निछावर
तेरे कोटि-कोटि शिर !
ये उगी बिन उगी फ़सलें
तेरी प्राण कहानी
हर रोटी ने, रक्त बूँद ने
तेरी छवि पहचानी !
वायु तुम्हारी उज्ज्वल गाथा
सूर्य तुम्हारा रथ है,
बीहड़ काँटों भरा कीचमय
एक तुम्हारा पथ है ।
यह शासन, यह कला, तपस्या
तुझे कभी मत भूलें ।
ये अनाज की पूलें
तेरे काँधे झूलें !