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{{KKRachna
|रचनाकार= जॉन एलिया
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<poem>
हालत-ए-हाल के सबब हालत-ए-हाल ही गई
शौक़ में कुछ नहीं गया शौक़ की ज़िंदगी गई
एक ही हादसा तो है और वो यह कह के आज तक
बात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई
बाद भी तेरे जान-ए-जां दिल में रहा अजब समाँ
याद रही तेरी यहाँ यां फिर तेरी याद भी गई
सैने ख्याल-ए-यार में की ना बसर शब्-ए-फिराक
जबसे वो चांदना गया तबसे वोह वो चांदनी गयी
उसके बदन को दी नुमूद हमने सुखन में और फिर