"खोई गुजरिया / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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मेले में खोई गुजरिया, | मेले में खोई गुजरिया, |
11:29, 1 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
मेले में खोई गुजरिया,
जिसे मिले मुझसे मिलाए.
उसका मुखड़ा
चाँद का टुकड़ा,
कोई नज़र न लगाये,
जिसे मिले मुझसे मिलाए.
मेले में खोई गुजरिया,
जिसे मिले मुझसे मिलाए.
खोये-से नैना,
तोतरे बैना,
कोई न उसको चिढ़ाए.
जिसे मिले मुझसे मिलाए.
मेले में खोई गुजरिया,
जिसे मिले मुझसे मिलाए.
मटमैली सारी,
बिना किनारी,
कोई न उसको लजाए,
जिसे मिले मुझसे मिलाए.
मेले में खोई गुजरिया,
जिसे मिले मुझसे मिलाए.
तन की गोली,
मन की भोली,
कोई न उसे बहकाए,
जिसे मिले मुझसे मिलाये.
मेले में खोई गुजरिया,
जिसे मिले मुझसे मिलाये.
दूंगी चवन्नी,
जो मेरी मुन्नी,
को लाए कनिया उठाए.
जिसे मिले मुझसे मिलाये.
मेले में खोई गुजरिया,
जिसे मिले मुझसे मिलाये.
(उत्तरप्रदेश के लोकधुन पर आधारित)