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{{KKRachna
|रचनाकार= जॉन एलिया
}}<poem>{{KKVID|v=n68eqD4JqDcpe0hhQP6Zg8}}[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>सर येह फोड़िए अब नदामत मेंनीन्द आने लगी है फुरकत में
वो खला है कि सोचता हूँ मैं
उससे क्या गुफ्तगू हो खलबत में
ज़िन्दगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मुहब्बत में
मेरे कमरे का क्या बया कि यहाँ
रूह ने इश्क का फरेब दिया
अब फकत आदतो की वर्जिश है
रूह शामिल नहीं शिकायत में
ऐ खुदा जो कही नहीं मौज़ूद
क्या लिखा है हमारी किस्मत में
</poem>