भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
}}
{{KKCatKavita}}<poem>तुम तुंग - हिमालय - श्रृंग <br>और मैं चंचल-गति सुर-सरिता।<br>तुम विमल हृदय उच्छवास <br>और मैं कांत-कामिनी-कविता।<br>तुम प्रेम और मैं शान्ति,<br>तुम सुरा - पान - घन अन्धकार,<br>मैं हूँ मतवाली भ्रान्ति।<br>तुम दिनकर के खर किरण-जाल,<br>मैं सरसिज की मुस्कान,<br>तुम वर्षों के बीते वियोग,<br>मैं हूँ पिछली पहचान।<br>तुम योग और मैं सिद्धि,<br>तुम हो रागानुग के निश्छल तप,<br>मैं शुचिता सरल समृद्धि।<br>तुम मृदु मानस के भाव<br>और मैं मनोरंजिनी भाषा,<br>तुम नन्दन - वन - घन विटप<br>और मैं सुख -शीतल-तल शाखा।<br>तुम प्राण और मैं काया,<br>तुम शुद्ध सच्चिदानन्द ब्रह्म<br>मैं मनोमोहिनी माया।<br>तुम प्रेममयी के कण्ठहार,<br>मैं वेणी काल-नागिनी,<br>तुम कर-पल्लव-झंकृत सितार,<br>मैं व्याकुल विरह - रागिनी।<br>तुम पथ हो, मैं हूँ रेणु,<br>तुम हो राधा के मनमोहन,<br>मैं उन अधरों की वेणु।<br>तुम पथिक दूर के श्रान्त<br>और मैं बाट - जोहती आशा,<br>तुम भवसागर दुस्तर<br>पार जाने की मैं अभिलाषा।<br>तुम नभ हो, मैं नीलिमा,<br>तुम शरत - काल के बाल-इन्दु<br>मैं हूँ निशीथ - मधुरिमा।<br>तुम गन्ध-कुसुम-कोमल पराग,<br>मैं मृदुगति मलय-समीर,<br>तुम स्वेच्छाचारी मुक्त पुरुष,<br>मैं प्रकृति, प्रेम - जंजीर।<br>तुम शिव हो, मैं हूँ शक्ति,<br>तुम रघुकुल - गौरव रामचन्द्र,<br>मैं सीता अचला भक्ति।<br>तुम आशा के मधुमास,<br>और मैं पिक-कल-कूजन तान,<br>तुम मदन - पंच - शर - हस्त<br>और मैं हूँ मुग्धा अनजान !<br>तुम अम्बर, मैं दिग्वसना,<br>तुम चित्रकार, घन-पटल-श्याम,<br>मैं तड़ित् तूलिका रचना।<br>तुम रण-ताण्डव-उन्माद नृत्य<br>मैं मुखर मधुर नूपुर-ध्वनि,<br>तुम नाद - वेद ओंकार - सार,<br>मैं कवि - श्रृंगार शिरोमणि।<br>तुम यश हो, मैं हूँ प्राप्ति,<br>तुम कुन्द - इन्दु - अरविन्द-शुभ्र<br>तो मैं हूँ निर्मल व्याप्ति।<br/poem><br> 
( कविता संग्रह, "परिमल" से )
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,103
edits