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क्योंकि सुबह दूसरों के चाहने से शुरू होती
एक काम के लिए कहीं पहुँचती
पा जाती है कुछ और उससे भी ज़्यादा ज़रूरी एक हाँक का उत्तर देते दूसरी को सुनती
बौखलाई-सी रुक जाती हाँफती हुई
बीच मँझधार साँस लेने को