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हमलौ / प्रमोद कुमार शर्मा

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|संग्रह=बोली तूं सुरतां / प्रमोद कुमार शर्मा
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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
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{{KKCatRajasthaniRachna}}<Poempoem
कठै ई
कदै ई
हो सकै हमलौ !
संभाळ‘र राखज्यो
थारौ गमलौ ! 
</Poem>
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