भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लोकगीत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
</td></tr>
 
</td></tr>
 
<table>
 
<table>
**[[यह गीत निमाड़ में शादी के समय मंडप में जब भाई मामेरा [निमाड़ी में इसे पेरावनी कहते है ]लेकर आता तब गाया जाता है इसका भावार्थ है ,बहनअपने भाई से कहती है ,मेरे भाई तुम जब भी पेरावनी [कपडे आदि ]लाओ तो मेरे पुरे परिवार के [साँस ससुर देवर जेठ आदि ]लिए लाना और नही तो अपने देश में ही रहना |भाई कहता है मेरे पास धन बहुत कम है विपति बहुत है परन्तु फ़िर भी मै जेसा तुम कहोगी वैसा ही मै लाऊंगा|
 
 
ब्य्नीका अंगना म पिपली रे वीरा चुन्ड लाव्जे |
 
लाव्जे तो सबई सारू लाव्जे रे वीरा
 
नही तो र्ह्य्जे आपणा देस माडी जाया चुन्ड लाव्ज*[[संपत थोडी वो ब्य्नी विपत घ्नेडी ,
 
कसी पत आउ थारा देस माडी जाई चुन्ड लाऊ
 
भाव्जियारो कंगन ग्य्नो मेल्जे रे वीरा चुन्ड लाव्जे |
 
लाव्जे तो सबई सारू लाव्जे रे वीरा चुन्ड लाव्जे
 
एतरो गरब क्यो बोलती वो ब्य्नी चुन्ड लांवा]][[*हमछे पांचाई भाई की जोत माडी जाई चुन्ड लावा]]
 

15:30, 30 अगस्त 2008 का अवतरण

इस पन्ने पर विभिन्न भारतीय भाषाओं और बोलियों से लिये गये लोक गीत संकलित किये जाते हैं।

यदि आप किसी ऐसी भाषा/बोली के लोक गीत जोड़ना चाहते हैं जो नीचे सूची में नहीं है -तो कृपया भाषा/बोली का नाम लिखते हुए लोक गीत को इसी पन्ने पर संकलित कर दें। कविता कोश टीम नयी भाषा/बोली को सूची में जोड़ देगी और आपके द्वारा जोड़े गये गीतों को भी सही जगह पर स्थानांतरित कर देगी।