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<Poem>
अरे घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले भाग्यो।
नान्हो सो अमर्यो अमरयो चीख पड्यो राणा रो सोयो दुख जाग्यो।
हूं लड्यो घणो हूं सह्यो घणो
मेवाड़ी मान बचावण नै,
जद राणा रो संदेश गयो पीथळ री छाती दूणी ही,
हिंदवाणों सूरज चमकै हो अकबर री दुनियां सूनी ही।
 
'''(मींझर)'''
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