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|संग्रह=
}}
{{KKCatMoolRajasthaniKKCatRajasthanRachna}}{{KKCatKavita}}<poem>मी सागर नै होम ना सोपाड़ मयं
वकेरायला हैं ।
कारा-कारा / गोर गट्ट लीड़ीया पाणा
जूजवा नी हिम्मत
नानं भूलकूं नी
मुलकाव वजू ।</poem>