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हेत / गौरीशंकर प्रजापत

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|संग्रह=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatKavita‎}}{{KKCatRajasthaniRachna}}<poem>जमानो बंध्योड़ो है-
जात अर धरम मांय
मिनख-मिनख बिचाळै
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