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"प्रयोगरत / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर
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आदमी में-
  
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चाह जीवन की
  
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सनातन और सर्वाधिक प्रबल है;
'''महेंद्रभटनागर की प्रतिनिधि कविताएँ'''''Italic text''=====================================================
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महेंद्रभटनागर
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द्वि-भाषिक कवि — हिन्दी और अंग्रेज़ी।
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जबकि
  
सन्१९४१ के लगभग अंत से काव्य-रचना आरम्भ। तब कवि (पन्द्रह वर्षीय) 'विक्टोरिया कॉलेज, ग्वालियर' में इंटरमीडिएट (प्रथम वर्ष) का छात्र था। सम्भवतः प्रथम कविता 'सुख-दुख' है; जो वार्षिक पत्रिका 'विक्टोरिया कॉलेज मेगज़ीन' के किसी अंक में छपी थी। वस्तुतः प्रथम प्रकाशित कविता 'हुंकार' है; जो 'विशाल भारत' (कलकत्ता) के मार्च १९४४ के अंक में प्रकाशित हुई।
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हर जीवंत की
  
लगभग छह वर्ष की काव्य-रचना का परिप्रेक्ष्य स्वतंत्रता-पूर्व भारत; शेष स्वातंत्र्योत्तर।
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अंतिम सच्चाई
  
हिन्दी की तत्कालीन तीनों काव्य-धाराओं से सम्पृक्त — राष्ट्रीय काव्य-धारा, उत्तर छायावादी गीति-काव्य, प्रगतिवादी कविता।
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मृत्यु है !
  
समाजार्थिक-राष्ट्रीय-राजनीतिक चेतना-सम्पन्न रचनाकार।
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हाँ, अंत निश्चित है,
सन्१९४६ से प्रगतिवादी काव्यान्दोलन से सक्रिय रूप से सम्बद्ध। 'हंस' (बनारस / इलाहाबाद) में कविताओं का प्रकाशन। तदुपरान्त अन्य जनवादी-वाम पत्रिकाओं में भी। प्रगतिशील हिन्दी कविता के द्वितीय उत्थान के चर्चित हस्ताक्षर।
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सन्१९४९ से काव्य-कृतियों का क्रमशः प्रकाशन।
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अटल है
  
प्रगतिशील मानवतावादी कवि के रूप में प्रतिष्ठित। समाजार्थिक यथार्थ के अतिरिक्त अन्य प्रमुख काव्य-विषय — प्रेम, प्रकृति, जीवन-दर्शन। दर्द की गहन अनुभूतियों के समान्तर जीवन और जगत के प्रति आस्थावान कवि। अदम्य जिजीविषा एवं आशा-विश्वास के अद्भुत-अकम्प स्वरों के सर्जक।
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काव्य-शिल्प के प्रति विशेष रूप से जागरूक।
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छंदबद्ध और मुक्त-छंद दोनों में काव्य-सॄष्टि। छंद-मुक्त गद्यात्मक कविता अत्यल्प। मुक्त-छंद की रचनाएँ भी मात्रिक छंदों से अनुशासित।
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काव्य-भाषा में तत्सम शब्दों के अतिरिक्त तद्भव व देशज शब्दों एवं अरबी-फ़ारसी (उर्दू), अंग्रेज़ी आदि के प्रचलित शब्दों का प्रचुर प्रयोग।
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सर्वत्र प्रांजल अभिव्यक्ति। लक्षणा-व्यंजना भी दुरूह नहीं। सहज काव्य के पुरस्कर्ता। सीमित प्रसंग-गर्भत्व।
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विचारों-भावों को प्रधानता। कविता की अन्तर्वस्तु के प्रति सजग।
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२६ जून १९२६ को प्रातः ६ बजे झाँसी (उ. प्र.) में, ननसार में, जन्म।
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प्रारम्भिक शिक्षा झाँसी, मुरार (ग्वालियर), सबलगढ़ (मुरैना) में। शासकीय विद्यालय, मुरार (ग्वालियर) से मैट्रिक (सन्१९४१), विक्टोरिया कॉलेज, ग्वालियर (सत्र ४१-४२) और माधव महाविद्यालय, उज्जैन (सत्र्४२-४३) से इंटरमीडिएट (सन्१९४३), विक्टोरिया कॉलेज, ग्वालियर से बी. ए. (सन्१९४५), नागपुर विश्वविद्यालय से सन्१९४८ में एम. ए. (हिन्दी) और सन्१९५७ में 'समस्यामूलक उपन्यासकार प्रेमचंद' विषय पर पी-एच. डी.
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जुलाई १९४५ से अध्यापन-कार्य — उज्जैन, देवास, धार, दतिया, इंदौर, ग्वालियर, महू, मंदसौर में।
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'कमलाराजा कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, ग्वालियर (जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर) से १ जुलाई १९८४ को प्रोफ़ेसर-अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त।
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कार्यक्षेत्र : चम्बल-अंचल, मालवा, बुंदेलखंड।
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सम्प्रति शोध-निर्देशक — हिन्दी भाषा एवं साहित्य।
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अधिकांश साहित्य 'महेंद्रभटनागर-समग्र' के छह-खंडों में एवं काव्य-सृष्टि 'महेंद्रभटनागर की कविता-गंगा' के तीन खंडों में प्रकाशित।
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सम्पर्क :
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डा. महेंद्रभटनागर
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सर्जना-भवन, ११० बलवन्तनगर, गांधी रोड, ग्वालियर — ४७४ ००२ [म. प्र.]
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फ़ोन : ०७५१-४०९२९०८ /  मो. ९८ ९३४ ०९७९३
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E-Mail :
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drmahendra02@gmail.com
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drmahendrabh@rediffmail.com
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'महेंद्रभटनागर की कविता-गंगा'
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खंड : १
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१ तारों के गीत
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२ विहान
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३ अन्तराल
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४ अभियान
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५ बदलता युग
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६ टूटती शृंखलाएँ
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खंड : २
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७ नयी चेतना
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८ मधुरिमा
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९ जिजीविषा
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१० संतरण
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११ संवर्त
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खंड : ३
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१२ संकल्प
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१३ जूझते हुए
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१४ जीने के लिए
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१५ आहत युग
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१६ अनुभूत-क्षण
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१७ मृत्यु-बोध : जीवन-बोध
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१८ राग-संवेदन
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***** प्रतिनिधि संकलन *****
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१९ गीति-संगीति [प्रतिनिधि गेय गीत]
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२० महेंद्रभटनागर की कविता-यात्रा [प्रतिनिधि कविताएँ]
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मूल्यांकन  /  शोध
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[१]            महेंद्रभटनागर की काव्य-संवेदना :
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                अन्तःअनुशासनीय आकलन
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                  डा. वीरेंद्र सिंह (जयपुर)
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[२] कवि महेंद्रभटनागर का रचना-कर्म
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डा. किरणशंकर प्रसाद (दरभंगा)
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[३] डा. महेंद्रभटनागर की काव्य-साधना
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ममता मिश्रा (स्व.)
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[४] महेंद्रभटनागर की कविता : परख और पहचान
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सं. डा. पाण्डेय शशिभूषण 'शीतांशु' (अमृतसर)
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[५] डा. महेंद्रभटनागर की काव्य-सृष्टि
+
सं. डा. रामसजन पाण्डेय (रोहतक)
+
 
+
[६] डा. महेंद्रभटनागर का कवि व्यक्तित्व
+
सं. डा. रवि रंजन (हैदराबाद)
+
 
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[७] सामाजिक चेतना के शिल्पी : कवि महेंद्रभटनागर
+
सं. डा. हरिचरण शर्मा (जयपुर)
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[८] कवि महेंद्रभटनागर का रचना-संसार
+
सं. डा. विनयमोहन शर्मा (स्व.)
+
 
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[९] कवि महेंद्रभटनागर : सृजन और मूल्यांकन
+
डा. दुर्गाप्रसाद झाला (शाजापुर)
+
 
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[१०] महेंद्रभटनागर की सर्जनशीलता (शोध / नागपुर वि.)
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डा. विनीता मानेकर (तिरोड़ा-भंडारा / महाराष्ट्र)
+
 
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[११] प्रगतिवादी कवि महेंद्रभटनागर :
+
                अनुभूति और अभिव्यक्ति /
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(शोध / जीवाजी वि., ग्वालियर)
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डा. माधुरी शुक्ला (स्व.)
+
 
+
[१२] महेंद्रभटनागर के काव्य का
+
                  वैचारिक एवं संवेदनात्मक धरातल
+
(शोध / सम्बलपुर वि., उड़ीसा)
+
डा. रजत कुमार षड़ंगी (कोरापुट-उडी़सा)
+
 
+
[१३] डा. महेंद्रभटनागर : व्यक्तित्व और कृतित्व
+
                  (शोध / कर्नाटक वि.)
+
डा. मंगलोर अब्दुलरज़ाक बाबुसाब (गदग-कर्नाटक)
+
 
+
[१४] डा. महेंद्रभटनागर के काव्य का
+
                  नव-स्वछंदतावादी मूल्यांकन
+
(शोध / दयालबाग डीम्ड वि., आगरा)
+
डा. कविता शर्मा (आगरा)
+
 
+
[१५] डा. महेंद्रभटनागर के काव्य में सांस्कृतिक चेतना
+
(शोध / कानपुर वि.)
+
डा. अलका रानी (कन्नौज)
+
 
+
[१६] महेंद्रभटनागर के काव्य में युग-बोध
+
(शोध / ललितनारायण वि., दरभंगा)
+
डा. मीना गामी (दरभंगा)
+
 
+
*****************************************************
+
CRITICAL  STUDY  OF  MAHENDRA  BHATNAGAR'S POETRY
+
*****************************************************
+
 
+
[1]The Poetry  of Mahendra Bhatnagar :
+
Realistic & Visionary Aspects
+
Ed. Dr. O.P. Budholia
+
 
+
[2]Living Through Challenges :
+
A Study of Dr.Mahendra Bhatnagar's Poetry
+
By Dr. B.C. Dwivedy.
+
 
+
[3] Poet Dr. Mahendra Bhatnagar : 
+
His Mind And Art / (In Eng. & French)
+
Ed. Dr. S.C. Dwivedi & Dr. Shubha Dwivedi
+
 
+
====================================
+
Works :
+
====================================
+
[1] Forty Poems of  Mahendra Bhatnagar
+
 
+
[2] After The Forty Poems
+
 
+
[3] Exuberance and other poems
+
 
+
[4] Dr. Mahendra Bhatnagar's Poetry
+
 
+
[5] Death-Perception : Life-Perception 
+
 
+
[6] Poems : For A Better World
+
 
+
[7] Passion and Compassion 
+
 
+
[8] Lyric-Lute
+
 
+
[9] A Handful  of  Light 
+
 
+
[10]Dawn to Dusk
+
 
+
[11]A Few Later Poems Of Mahendra Bhatnagar
+
 
+
-----------------------------
+
Translations :
+
-----------------------------
+
*** In French :
+
 
+
A Modern Indian Poet :
+
Dr. Mahendra Bhatnagar :
+
UN POÈTE  INDIEN  ET MODERNE /
+
Tr. Mrs. Purnima Ray
+
 
+
*** In Tamil :
+
Kaalan Maarum,
+
Mahendra Bhatnagarin Kavithaigal.
+
 
+
*** In Telugu :
+
Deepanni Veliginchu.
+
 
+
*** In Kannad & In Bangla : 
+
Mrityu-Bodh : Jeewan-Bodh.
+
 
+
*** In Marathi :
+
Samkalp Aaani Anaya Kavita
+
  
*** In Oriya :
+
लेकिन सत्य है यह भी -  
Kala-Sadhna.
+
  
In Malyalam,  Gujrati, Manipuri, Urdu.
+
अमरता की : अजरता की
In Czech, Japanese, Nepali, 
+
  
******
+
लहकती वासना का वेग
  
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+
होगा कम नहीं,
Links :
+
=============
+
  
HINDI
+
अद्भुत पराक्रम आदमी का
www.blogbud.com/author 5652
+
  
ENGLISH-FRENCH
+
चाहता कलरव,
www.poetrypoem.com/mpb1
+
  
ENGLISH
+
रुदन मातम नहीं !
(1) www.poetrypoem.com/mpb2
+
[Selected Poems 1,2,3]
+
  
(2) www.poetrypoem.com/mpb4
+
हर बार
[‘Exuberance and other poems’ /
+
‘Poems : For A Better World /
+
Passion and Compassion]
+
  
(3) www.poetrypoem.com/mpb3
+
ध्रुव मृति की चुनौती से
[‘Death-Perception : Life-Perception’ /
+
‘A Handful Of Light’]
+
  
(4) www.poetrypoem.com/mpb
+
निरंतर जूझना स्वीकार !
[‘Lyric-Lute’]
+
  
(5)www.anindianenglishpoet.blogspot.com
+
मृत्युंजय
[‘…A Study Of Dr. Mahendra Bhatnagar’s Poetry’]
+
  
(6)www.mahendrabhatnagar.blogspot.com
+
बनेगा वह; बनेगा वह !
[ Critics & Mahendra Bhatnagar’s Poetry]
+
  
        
 
  
प्रस्तुति : डा. शालीनकुमार सिंह, बदायूँ [उ.प्र.]'''
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महेंद्रभटनागर की प्रतिनिधि कविताएँ
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02:22, 14 जुलाई 2008 के समय का अवतरण

आदमी में-

चाह जीवन की

सनातन और सर्वाधिक प्रबल है;


जबकि

हर जीवंत की

अंतिम सच्चाई

मृत्यु है !

हाँ, अंत निश्चित है,

अटल है


लेकिन सत्य है यह भी -

अमरता की : अजरता की

लहकती वासना का वेग

होगा कम नहीं,

अद्भुत पराक्रम आदमी का

चाहता कलरव,

रुदन मातम नहीं !

हर बार

ध्रुव मृति की चुनौती से

निरंतर जूझना स्वीकार !

मृत्युंजय

बनेगा वह; बनेगा वह !


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महेंद्रभटनागर की प्रतिनिधि कविताएँ

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