भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जुग धरम / निशान्त" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह= }} Category:मूल राजस्थानी भाषा {{KKCatKavita…) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatRajasthaniRachana}} | |
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> |
13:05, 21 अक्टूबर 2013 का अवतरण
बातां करो हो
जुग धरम री
पण कद हो
साबतो सतजुग ?
अर अब कठै है ?
सौ पीसा कळजुग
झूठ-सांच री लड़ाई तो
धुर सूं चालती आई है
अर चालती ई रैवैली ।