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"पणिहारी / बुलाकी दास बावरा" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=ओम पुरोहित कागद
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|रचनाकार=बुलाकी दास बावरा
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14:04, 21 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

सौनलियै सूरज री किरणां आई जगावण नै.
हालो पाणी लावण नै, चालो पाणी लावण नै.

पांख-पंखेरू कुरळावै, आभै में राती बादळी,
खोलण लागी रातडली, तारां-नग पोयी मादळी,
लाल-लजीली पौ-फ़ाटी जद लागी औटण नै. हालो...

हरिया-भरिया है झाड-झांखरा,भरगी ताळ-तळाई जी,
पाणी भरवा जावण दो, मत पकडो पीव कळाई जी,
सहेल्यां म्हारी बारै ऊभी, सागै चालण नै.हालो...

माथै मटकी मेल मनचली, मन ही मन मुळ्कावै जी,
आभो झूमै, हेठै धरती, गीत प्रीत रा गावै जी,
बांसुरी बजावै रे बायरो, जी बिलमावण नै. हालो...

लुंब-लुंबाळी ईढाणी बैरै, ज्यूं चंदा री कोर जी,
इण भांत उडै है ओढणियो, जाणै सावणियै रा लोर जी,
सरवर चाली गोरडी, पिव हळियो बावण नै. हलो...

नखली सूं पगिया सजियोडा, मैंदी रचिया हाथ जी.
बिन्दिया रै मिस चांदडलो, चूमै गोरी रो माथ जी,
बाजू बंध री लडियां पट-पट लगी लटकण नै. हालो...

घाघरियै री लड में बैरै घुम्मर घालै मोरियो,
लाल कसूंबल ओढणो बैरो, कुण जाणै कुण कोरियो,
हाथण ज्यूं मतवाळी चालां, लागी चालण नै. हालो...

चंचल नैण चकोरी जद घूंघट में शरमावै जी,
काजळियै री कोर बैवतां रा हिवडा भरमावै जी,
रुण-झुण पग री पायलिया, जद लगी बाजण नै. हालो...

ताल तळैया माथै गायां-गोख्यां री भरमार जी,
ऊंठ बकरडी घोडां सागै, छागां रो परिवार जी,
ठंडी मद री लहरां चालै जी ललचावण नै. हालो...

ठाली मटकी मेल सुगनडी छेडी घर री बात जी,
पीव गया परदेश हो साथण कीकर काटू रात जी,
नैणां सूं म्हारै नीर झरै इयै भरियै सावण में. हलो...

थाम पगां रै बीच घाघरो पाणीडा पग धरियो जी,
हंसा बरणै गळ्णै सूं जद छाण्यो पाणी भरियो जी,
ओढणियै रो उडतो पल्लो लागो भीजण नै. हलो...

हांडा मटकी चुकली चाडा तिरमिर भरिया गोरड्यां
घूंघट रै पल्लां सूं झांक’र कैवण लागी छोरड्यां
सुणो सहेल्यां देर करो मत चूडा मांजण में. हलो...

ठंडै मीठै पाणीडै री रिळ मिळ उखणी गागरी,
गडसीसर सूं घरियै चाली जैसाणै री नागरी
छ्ल-छ्ल छ्लकै मटकी,माथै रस बरसावण नै. हालो...

पीळो हांडो, लाल ओढणी,बादळियै ज्यूं केश जी
हरियो घाघरो, सात सुरंगी, पणिहारो रो भेश जी,
चाली गोरी इन्द्र्धनुष री, रेख सजावण नै. हालो...

ऐ पदमणियां पूगळ री, बै बीकाणै रै गांव री,
ठुमक ठुमक पाणीडो लावै जोधाणै री सांवरी,
पतळी कमर बांरी लचकण लागी, हिय हरखावण नै. हालो...

नखरा मत जोइजे रूपा पिणघट बैं’ती नार रा,
ना गाइजो गीत "बावरा", धोरां री पणिहार रा,
मारग नै मत रोक भंवर जी, हेत लगावण नै. हलो...


सौनलियै सूरज री किरणां आई जगावण नै.
हालो पाणी लावण नै, चालो पाणी लावण नै.