भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हथेळी में चांद / मोनिका गौड़" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोनिका गौड़ |संग्रह= }} [[Category:मूल राज...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatRajasthaniRachna}} | |
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem>रात री | <poem>रात री |
15:58, 21 अक्टूबर 2013 का अवतरण
रात री
हथेळी पर मेल्यो
एक चांद
कीं तारा
कै
बाद में गिण’र धर लेसूं
अंतस रै खूंजै मांय
रीसाणो सूरज
होयो लाल-तातो
खोस्यो चांद
गुड़ाया तारा,
बस
दो इज रैयग्या
आंख रै खूंजै मांय
आंसू होय’र।