भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मोरा राम दुनू भइया से बनवाँ गइले ना / महेन्द्र मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र मिश्र |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
05:59, 22 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
मोरा राम दुनू भइया से बनवाँ गइले ना/मोरा
अवध नगरिया के निपटे बिसरलें से सपनवाँ भइलें ना।
मोरा राम दुनो भइया से बनवाँ गइलें ना।
भोरहीं के भूखे होइहें चले पग दूखे होइहे सूखे होइहें ना। मोरा
सूरूज के किरन लागे लाल कुंभिलाए होइहें थाके होइहें ना। मोरा
सोए होइहें छवाना बेबि छवाना दुनू भइया से जागे होइहें ना। मोरा
कहत महेन्दर रोवे माता कोशिल्या से कब दू अइहें ना मोरा।