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"फूलि रह चम्पा द्रुम कुसुम कमाल करे, फूलत रसाल नन्द लाल नहिं आवे री / महेन्द्र मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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 फूलि रह चम्पा द्रुम कुसुम कमाल करे, फूलत रसाल नन्द लाल नहिं आवे री।
अब तो बेहाल ब्रजलाल फिरे राधिका कि जमुना के तीर-तीर नीर ही बहावे री।
डोलत नव पल्लव मानो काम को कमाल करे, पपिहा की बोली हमें गोली सी लगावे री।
द्विज महेन्द्र कवन सी उपाय करूँ अब आली कोयल की कुहू कूक हूक उपजावे री।