भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पंतियो ना भेजे स्याम निपटे अनारी हे / महेन्द्र मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र मिश्र |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:30, 23 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

पंतियो ना भेजे स्याम निपटे अनारी हे।
नेहिया लगाके श्याम गइलें पुरूबवा
केकरा से कहीं हम आपन अलचारी हे।
रहि-रहि सखिया हे मदन सतावे ला
मन करे मरिजाईं मार के कटारी हे।
दिलवा के बात सखी तोरे से बताईले
कि सेनुरा मिल बा बाकी बानी हम कुंआरी हे।
कहत महेन्दर राधा मानऽ मोर कहना
कि धीर धरऽ ना तोहे मिलिहें मुरारी हे।