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"खुद-ब-खुद आ जाएगें मवशिमे-बहार आने तो दो / महेन्द्र मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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16:59, 23 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

कर लो किसी को अपना या हो रहो किसी के।
इतना न कर गरूरत दिन हैं चला चली के।

है चार दिन का मेला जाना कहाँ अकेला,
छोड़ो सभी झकेला कर होस आखिरी का।

नेकी सबाब करना भगवत से कुछ भी डरना,
एक दिन है यार मरना छोड़े बहादुरी का।

आवो महेन्द्र प्यारे अब तो गले लगा लूँ,
अरमाँ सभी मिटा लूँ रहमत है सब उसी का।