भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ख़त / हरकीरत हकीर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरकीरत हकीर }} {{KKCatNazm}} <poem>मुझे पता है ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:54, 26 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
मुझे पता है
यह मुहब्बत से भरे ख़त
तूने मुझे यूँ ही
बहलाने के लिए लिखे हैं
क्योंकि तुम जानते हो ….
दर्द की महक किताब के
आखिरी पन्नों से ही
उठती है ….