भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तुम्हारे भेजे अक्षर / हरकीरत हकीर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरकीरत हकीर }} {{KKCatNazm}} <poem>तुम तो गैर थ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:55, 26 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
तुम तो गैर थे
तुम से मैंने मांगे भी न थे
फिर भी तूने भेज दिए थे
मेरी जरुरत के सारे अक्षर
वे जो मेरे अपने थे
उनकी ओर मैं
सारी उम्र तकती रही
पर वक़्त ने कोई अक्षर
झोली में न डाला …