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"तुम आओ / हरकीरत हकीर" के अवतरणों में अंतर

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13:14, 26 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

तुम आओ
कि तुम्हारे बिना
बिखरे हुए हैं
मेरे क़दमों के राह …

तुम आओ …
कि तेरे बिना
बाँहों में टूट रही है
मेरी सांस ….

तुम आओ …
इक बार लिख जाओ
मेरी कलम से
मुहब्बत का गीत …

मैं इश्क़ की आग में
हाथ डाल लूँगी …. !!