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"तलाश रिश्ते की / हरकीरत हकीर" के अवतरणों में अंतर

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13:20, 26 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

पता नहीं कितने रिश्ते
बिखरे पड़े हैं मेरी देह में
फिर भी तलाश जारी है
इक ऐसे रिश्ते की
जो लापता है उस दिन से
जिस दिन से तूने बाँध दी थी डोर
इक नए रिश्ते से
और मैं बिछड़ गई थी
अपनी रूह से जुड़े
उस रिश्ते से …

ज़ख्मों की ताब झेलती
अभी तक मैं जिन्दा हूँ
उस रिश्ते की
तलाश में ….