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"तहखानों तक / हरकीरत हकीर" के अवतरणों में अंतर

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13:21, 26 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

कोई ठंडी हवा का झोंका
आधी रात मेरे लहू में
अक्षर - अक्षर हो …
लिख जाता है किताब
कभी तो आ …
दिल के तहखानों तक
जिसकी टूटी सतरें जोड़
कोई नज़्म बना सकें …