भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चुन्नियाँ / हरकीरत हकीर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरकीरत हकीर }} {{KKCatNazm}} <poem>हरी , नीली , प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:28, 26 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

हरी , नीली , पीली
सुनहरी सुर्ख ,गुलाबी चुन्नियाँ
खिल- खिल हँसती चुन्नियाँ …

कभी सिरों पर , कभी छातियों पर
गिर -गिर, उड़ -उड़ जाती चुन्नियाँ …

कभी सावन के झूलों पर
कभी खेतों में हँस - हँस
आँख - मिचौली होती चुन्नियाँ …

कभी दरिया के किनारे
दरख्तों को आलिंगन में ले
हीर - रांझा होती चुन्नियाँ …

चढ़ती उम्र के साथ -साथ
खुद ब खुद आप ही
सियानी हो जाती हैं चुन्नियाँ …

सिरों पर, छातियों पर,आँखों पर
गुमसुम , चुपचाप नीची नज़र कर
आंसुओं में बदल जाती हैं चुन्नियाँ …

हरी , नीली , पीली
सुनहरी, सुर्ख ,गुलाबी चुन्नियाँ ….