भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बरसात का मतलब है / अनामिका" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनामिका |संग्रह=अब भी वसंत को तुम्हारी जरूरत है / अनामि...) |
(हिज्जे) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
बरसात का मतलब है<br> | बरसात का मतलब है<br> | ||
हो जाना दूर और अकेला।<br> | हो जाना दूर और अकेला।<br> | ||
− | उतरती है | + | उतरती है सांझ तक बारिश—<br> |
लुढ़कती-पुढ़कती, दूरस्थ—<br> | लुढ़कती-पुढ़कती, दूरस्थ—<br> | ||
सागर-तट या ऐसी चपटी जगहों से<br> | सागर-तट या ऐसी चपटी जगहों से<br> | ||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
जो इसका घर है पुराना।<br><br> | जो इसका घर है पुराना।<br><br> | ||
− | सिर्फ़ जन्नत छोड़ते वक़्त गिरती हैं | + | सिर्फ़ जन्नत छोड़ते वक़्त गिरती हैं बूंद-बूंद बारिश<br> |
शहर पर।<br> | शहर पर।<br> | ||
− | बरसती हैं | + | बरसती हैं बूंदें चहचहाते घंटों में<br> |
जब सड़कें अलस्सुबह की ओर करती हैं अपना चेहरा<br> | जब सड़कें अलस्सुबह की ओर करती हैं अपना चेहरा<br> | ||
और दो शरीर<br> | और दो शरीर<br> |
17:58, 2 मई 2008 का अवतरण
बरसात का मतलब है
हो जाना दूर और अकेला।
उतरती है सांझ तक बारिश—
लुढ़कती-पुढ़कती, दूरस्थ—
सागर-तट या ऐसी चपटी जगहों से
चढ़ जाती है वापस जन्नत तक
जो इसका घर है पुराना।
सिर्फ़ जन्नत छोड़ते वक़्त गिरती हैं बूंद-बूंद बारिश
शहर पर।
बरसती हैं बूंदें चहचहाते घंटों में
जब सड़कें अलस्सुबह की ओर करती हैं अपना चेहरा
और दो शरीर
लुढ़क जाते हैं
कहीं भी हताश—
दो लोग जो नफ़रत करते हैं
एक-दूसरे से
सोने को मजबूर होते हैं साथ-साथ।
यही वह जगह है
जहाँ
नदियों से हाथ मिलाता है
अकेलापन।