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− | + | ध्यान एक से एक अनोखे। सबकुछ पाया | |
− | + | शब्दों में, देखा सबकुछ ध्वनि–रूप हो गया । | |
− | + | मेघों ने आकाश घेरकर जी भर गाया। | |
− | + | मुद्रा, चेष्टा, भाव, वेग, तत्काल खो गया, | |
− | + | जीवन की शैय्या पर आकर मरण सो गया। | |
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− | + | सबकुछ, सबकुछ, सबकुछ, सबकुछ, सबकुछ भाषा । | |
+ | भाषा की अंजुली से मानव हृदय टो गया | ||
+ | कवि मानव का, जगा नया नूतन अभिलाषा । | ||
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+ | ध्वनि में क्रिया भरी है और क्रिया में बल है | ||
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11:57, 20 नवम्बर 2013 का अवतरण
भाषा की लहरें
रचनाकार: त्रिलोचन
भाषाओं के अगम समुद्रों का अवगाहन
मैंने किया। मुझे मानव–जीवन की माया
सदा मुग्ध करती है, अहोरात्र आवाहन
सुन सुनकर धाया–धूपा, मन में भर लाया
ध्यान एक से एक अनोखे। सबकुछ पाया
शब्दों में, देखा सबकुछ ध्वनि–रूप हो गया ।
मेघों ने आकाश घेरकर जी भर गाया।
मुद्रा, चेष्टा, भाव, वेग, तत्काल खो गया,
जीवन की शैय्या पर आकर मरण सो गया।
सबकुछ, सबकुछ, सबकुछ, सबकुछ, सबकुछ भाषा ।
भाषा की अंजुली से मानव हृदय टो गया
कवि मानव का, जगा नया नूतन अभिलाषा ।
भाषा की लहरों में जीवन की हलचल है,
ध्वनि में क्रिया भरी है और क्रिया में बल है