भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दुख / दुष्यन्त जोशी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दुष्यन्त जोशी |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachn...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:49, 22 नवम्बर 2013 के समय का अवतरण
आपां
एक बात माथै
जद बार-बार
नीं हांस सकां
तद एक ई
दुख माथै
बार-बार रोवां क्यूं हां?
लागै
आपां जाण-बूझ’र
दुखी हां।