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हिज्जे
प्राणों का अर्ध्य भी दिया है।<br><br>
किन्तुकिंतु, अपनी ध्येय-यात्रा में—<br>
हम कभी रुके नहीं हैं।<br>
किसी चुनौती के सम्मुख <br>
दाँव पर लगी हैं, <br>
और, <br>
एक घनीभूत अँधेरा—अंधेरा—<br>
हमारे जीवन के<br>
सारे आलोक को<br>
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