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पौरवां सूं कैयी
बातां री ताण पकड़ वो
आय ज्यावै इण तीर
खोलूं
करूं जतन
अर सांवट खुद नैं
मेलूं उण तीर
इण मनगत रा छांटा मांय
पछै भींजता रैवै
म्हारा दिन-रात।