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कहूँ जो हाल, तो कहते हो / ग़ालिब

1 byte removed, 04:46, 27 दिसम्बर 2013
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
कहूं जो हाल तो कहते हो, 'मुद्द`आ मुद्दआ कहिये'
तुम्हीं कहो कि जो तुम यूं कहो तो क्या कहिये
न कहियो त`नतान<ref>कटाक्ष</ref> से फिर तुम, कि हम सितमगर हैं
मुझे तो ख़ू<ref>आदत</ref> है कि जो कुछ कहो, बजा कहिये<ref>हाँ में हाँ मिलाना</ref>
वह ज़ख़्म-ए-तेग़<ref>तलवार का घाव</ref> है जिस को कि दिल-कुशा<ref>सुखद</ref> कहिये
जो मुद्द`ईमुद्दई<ref>दुश्मन</ref> बने, उस के न मुद्द`ई मुद्दई बनिये
जो ना-सज़ा<ref>अनुचित बोले</ref> कहे उस को न ना-सज़ा कहिये
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