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"हाय रे वो दिन क्यों ना आए / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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मन बाती जले, बुझ जाए | मन बाती जले, बुझ जाए | ||
हाये रे वो दिन... | हाये रे वो दिन... |
11:02, 30 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण
हाये रे वो दिन क्यों ना आए
जा-जा के ऋतु लौट आए
झिलमिल वो तारे, कहाँ गए सारे
मन बाती जले, बुझ जाए
हाये रे वो दिन...
सुनी मेरी बीना, संगीत बिना
सपनों की माला मुरझाए
हाये रे वो दिन...